सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा- ‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें-
मैं सुख-सुविधाओं के बावजूद एक कमरे में रहना कभी स्वीकार नहीं करूंगी।
क. एक कमरे में बंद व्यक्ति के पास कितनी ही सुख-सुविधाएं क्यों ना हों लेकिन स्वतंत्रता जैसी कीमती चीज उसके पास नहीं होती। ऐसे में वो पराधीनता का जीवन जीता है। वो स्वयं कभी सुखी नहीं होता और इसी वजह से दूसरों को दुख देता है।
ख. जो व्यक्ति पूरा समय एक कमरे में रहेगा वो सपने देखना भूल जाता है। क्योंकि उसे पता होता है कि उसका जीवन उस एक कमरे तक ही सीमित है। इससे बाहर के बारे में सोचने की आजादी उसे नहीं है। इसलिए वो सपने भी नहीं देखता है।
ग. पराधीन व्यक्ति के पास बंद कमरे में सारी सुविधाएं होती हैं। इसलिए वो उसे ही अपना जीवन समझ लेता है। उसे पता ही नहीं है कि बाहर और कौन से सुख हैं। वो अपनी पराधीनता की दुनिया में मग्न रहता है और उसे सपने देखने का अवसर ही नहीं मिलता है।